कह रही है मंज़िल हमें पाकर तो देखिए-२
खुद ही बढ़ जाएँगे कदम उठाकर तो देखिए
ये तो मील के पत्थर हैं इनसे कैसी मोहब्बत-२
बहुत मिल जाएँगे आगे कहीं जाकर तो देखिए
साहिल तो मिल जाएँगे सुंदर से सुंदर-२
दरिया के रास्ते से जाकर तो देखिए
बहुत मिल जाएँगे तुमको नायाब खिलौने-२
कुम्हार के घर दस्तक बजाकर तो देखिए
ना होगा कोई द्वेष कोई राग किसी के मन में-२
यहीं पे छोड़कर उनको, मंज़िल पाकर तो देखिए
मिल जाएँगे छूटे हुए सब राही आपको-२
मंजिल पे पहुँचकर, आँख घुमाकर तो देखिए
कह रही है मंज़िल हमें पाकर तो देखिए
खुद ही बढ़ जाएँगे कदम उठाकर तो देखिए।
Archive for फ़रवरी 15th, 2011
15 फरवरी