जहाँ तक आरजू जाती है मेरी
वहाँ तक सिर्फ तेरी आरज़ू है
जितनी राहें तुझ तक जा रही हैं
वहाँ पर सिर्फ तेरी जुस्तज़ू है
अजब ये तुझसे मेरी गुफ्तगू है
मेरे हर लफ़्ज़ में छिपा सिर्फ तू है
हुआ ना मैं कभी रू-ब-रू खुद से
अज़ब कि तू मुझसे रू-ब-रू है।
9 मई
जहाँ तक आरजू जाती है मेरी
वहाँ तक सिर्फ तेरी आरज़ू है
जितनी राहें तुझ तक जा रही हैं
वहाँ पर सिर्फ तेरी जुस्तज़ू है
अजब ये तुझसे मेरी गुफ्तगू है
मेरे हर लफ़्ज़ में छिपा सिर्फ तू है
हुआ ना मैं कभी रू-ब-रू खुद से
अज़ब कि तू मुझसे रू-ब-रू है।
एक अमूल्य संकलन
भावनाओं के संप्रेषण का माध्यम।
बात जो है खास ....
A brief and to the point view and materials on BPSC , JPSC and UPSC Exams
जिसके आगे राह नहीं...
जिसके आगे राह नहीं...
जिसके आगे राह नहीं...
कोशिश मशीनी पड़ रहे मस्तिष्क में भावना-प्रवाह की'
जिसके आगे राह नहीं...
जिसके आगे राह नहीं...
जिसके आगे राह नहीं...
जिसके आगे राह नहीं...
साफ कहना, सुखी रहना
यह भी खूब रही। (Yah bhi khoob rahi)
लेखक संपादक- दीपक भारतदीप, ग्वालियर