क्या रिम-झिम बरसात हुई है…!
मिट गए होंगे वो शब्द
जो लिखे गए होंगे रेत पर
आसानी से अपनी बात कह सकने के लिए…
अभी अभी जो बने थे
रेत के घर
हो गए होंगे अस्तित्वहीन…
रह गए होंगे
केवल वे संवाद
जो लिखे गए होंगे किसी पत्थर पर
किसी पत्थर के द्वारा…
बच गया होगा केवल उनका अस्तित्व
जिनके घर की दीवारें
सक्षम हैं
प्रकृति को
उनके घर के बाहर ही रोक पाने में…