मैं सतत् अपने स्वभाव से जलता हूँ,
ना तुम्हारे कम होने से कम होता हूँ,
ना तुम्हारे बढ़ने से बढ़ता हूँ,
मेरी बात क्यों नहीं मानते…?
मैं सच कह रहा हूँ ऐ अंधकार!
मैं सतत् अपने स्वभाव से जलता हूँ…।
एक अमूल्य संकलन
भावनाओं के संप्रेषण का माध्यम।
बात जो है खास ....
A brief and to the point view and materials on BPSC , JPSC and UPSC Exams
जिसके आगे राह नहीं...
जिसके आगे राह नहीं...
जिसके आगे राह नहीं...
कोशिश मशीनी पड़ रहे मस्तिष्क में भावना-प्रवाह की'
जिसके आगे राह नहीं...
जिसके आगे राह नहीं...
जिसके आगे राह नहीं...
जिसके आगे राह नहीं...
साफ कहना, सुखी रहना
यह भी खूब रही। (Yah bhi khoob rahi)
लेखक संपादक- दीपक भारतदीप, ग्वालियर
Posted by kritika jaiswal on अक्टूबर 20, 2021 at 3:15 अपराह्न
👌