क्या खूब तेरी मेरी दासताँ रही,
तू सामने रहा फिर भी दूरियाँ रहीं।
मिलते रहे हमेशा पर मिल ना सके कभी,
ना जाने कैसी तेरी मज़बूरियाँ रहीं?
हम तो हमेशा ही से तुम्हारे करीब रहे,
तुम्हारे ऐनक ही में कुछ कमजोरियाँ रहीं।
जब भी मिले वो हमसे तो दूर ही से मिले,
दुनिया की नज़रों में हमेशा करीबियाँ रहीं।
हम बखूबी जानते हैं उनके बोलने का मतलब,
दुनियावी शिष्टाचारों की बेडि़याँ रहीं।