आईना
जितना कमजोर होता है,
इरादों से
उतना ही मजबूत
होता है,
वह
प्रत्यक्ष को
दिखलाने वाला होता है,
जितने टुकड़े करो उसके
वह
उतने ही पुरजोर तरीके से
सच का प्रस्तुतकर्ता
होता है।
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20 अप्रैल
20 अप्रैल
आईना
जितना कमजोर होता है,
इरादों से
उतना ही मजबूत
होता है,
वह
प्रत्यक्ष को
दिखलाने वाला होता है,
जितने टुकड़े करो उसके
वह
उतने ही पुरजोर तरीके से
सच का प्रस्तुतकर्ता
होता है।
एक अमूल्य संकलन
भावनाओं के संप्रेषण का माध्यम।
बात जो है खास ....
A brief and to the point view and materials on BPSC , JPSC and UPSC Exams
जिसके आगे राह नहीं...
जिसके आगे राह नहीं...
जिसके आगे राह नहीं...
कोशिश मशीनी पड़ रहे मस्तिष्क में भावना-प्रवाह की'
जिसके आगे राह नहीं...
जिसके आगे राह नहीं...
जिसके आगे राह नहीं...
जिसके आगे राह नहीं...
साफ कहना, सुखी रहना
यह भी खूब रही। (Yah bhi khoob rahi)
लेखक संपादक- दीपक भारतदीप, ग्वालियर