भयंकर तूफान में अकेला दिया मैं जल रहा हूँ,
बस इसी कारण हर किसी को ख़ल रहा हूँ…।
हर कदम पे ठोकरें मार देता है ज़माना,
बस इसी कारण आज तक मैं चल रहा हूँ…।
एक बस तूने मुझे आज तक ठुकराया नहीं,
हर दर से ठोकर खाकर इसीलिए मचल रहा हूँ…।
सफ़र का अन्त तेरे दीदार से करना है मुझे,
विष से सिंचित होकर भी इसीलिए तो फल रहा हूँ…।
मौत भी आएगी मुझे हर वादा निभाने के बाद,
आज तक मैं अपनी हर बात पर अटल रहा हूँ…।