Posts Tagged ‘दुनिया’

किसी की ख्वाहिशों में नहीं आए…

किसी की ख्वाहिशों में नहीं आए

इस दौर की पैमाइशों में नहीं आए

खींचा बहुत हमें ज़माने ने

फिर भी हम नुमाइशों में नहीं आए

वक़्त ईमां का नहीं, बहुत समझाया गया

इन दिलकश बहानों में हम नहीं आए

दुनिया ने दुनिया भर की कहानी कही

किसी के भी फ़सानों में हम नहीं आए…

रवायत नई, अब समझने लगे हैं…

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मुखौटे एक-एक कर उतरने लगे हैं,
ओ दुनिया तुम्हें हम समझने लगे हैं।

आँखों में अदावत और हाथों का मिलना,
रवायत नई, अब समझने लगे हैं।

बेतकल्लुफ़ी से मिलते थे सब,
अब पहले मिज़ाज परखने लगे हैं।

नई फिज़ा है निज़ाम की अब,
सच बोलने वाले सब खटकने लगे हैं।

भटकते थे पहले अंधेरे में लोग,
अब चकाचौंध में राह भटकने लगे हैं।

मैं करता रहा अपनाने की कोशिश…

मैं करता रहा अपनाने की कोशिश,
वो करते रहे आज़माने की कोशिश…

ये दुनिया है या कोई बियाबान है?
हर तरफ निर्बलों को दबाने की कोशिश…

खुद अपने को हम सुन ना पाए कभी,
फिर भी दुनिया को हर दम सुनाने की कोशिश…

ये शऊर दुनिया में कहाँ से है आया,
हर तरफ रिश्तों को भुनाने की कोशिश…

हर महफिल में जाते लगाकर मुखौटा,
खुद के सच को हमेशा छिपाने की कोशिश…

इस अज़ब रेस में आ गया कहाँ से?
यहाँ दौड़ने से ज्यादा गिराने की कोशिश…

बस ख़यालों में मेरे बसा एक तू ही,
हर पल तेरी मूरत बनाने की कोशिश…।

ऐसे – ऐसे मंज़र देखे हैं…

हमने तो ऐसे – ऐसे मंज़र देखे हैं,
जहाँ कोई रस्ता नहीं जाता वहाँ पर घर देखे हैं।

जिन लोगों को हरदम खिलखिलाते देखा,
उन सब लोगों के चश्म हमने तर देखे हैं।

उन्हें सहारा कभी किसी का नहीं चाहिए,
जिनकी पीठ पर बोझ हम हरदम देखे हैं।

ये मत पूछो हमसे हमपे क्या गुजरा है,
दिल से पूछो उसने कितने सितम देखे हैं।

सारी बर्फ सारे पत्थर पिघल ना जाएँ,
इसीलिए लब पर पहरे हरदम देखे हैं।

मानते हैं हम कि उम्र अभी हमारी कम है,
लेकिन हमने तुमसे ज्यादा मौसम देखे हैं।

दुनिया को दुनिया में हमने उलझा देखा,
लेकिन अपने को अपने ही में रम देखे हैं।

अनमोल रत्न

एक अमूल्य संकलन

अपनी बात

भावनाओं के संप्रेषण का माध्यम।

नजरिया

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