हमने तो ऐसे – ऐसे मंज़र देखे हैं,
जहाँ कोई रस्ता नहीं जाता वहाँ पर घर देखे हैं।
जिन लोगों को हरदम खिलखिलाते देखा,
उन सब लोगों के चश्म हमने तर देखे हैं।
उन्हें सहारा कभी किसी का नहीं चाहिए,
जिनकी पीठ पर बोझ हम हरदम देखे हैं।
ये मत पूछो हमसे हमपे क्या गुजरा है,
दिल से पूछो उसने कितने सितम देखे हैं।
सारी बर्फ सारे पत्थर पिघल ना जाएँ,
इसीलिए लब पर पहरे हरदम देखे हैं।
मानते हैं हम कि उम्र अभी हमारी कम है,
लेकिन हमने तुमसे ज्यादा मौसम देखे हैं।
दुनिया को दुनिया में हमने उलझा देखा,
लेकिन अपने को अपने ही में रम देखे हैं।
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